किडनी का काम ब्लड को फिल्टर करने का होता है। किडनी ही है जो हानिकारक अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को बाहर निकाल सकती है और इसे यूरिन की मदद से शरीर से बाहर निकाल सकती है। ऐसे में जब किडनी सही से काम नहीं करती या उसमें खराबी आ जाती है, तो डायलिसिस करवाना पड़ता है।
डायलिसिस ब्लड से अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को हटाने की एक प्रक्रिया होती है। ऐसा तब होता है जब किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है। डायलिसिस के दौरान ब्लड को साफ करने के लिए मशीन में भेजा जाता है।
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बता दें अगर किडनी ठीक से काम नहीं करती है, तो इसका मतलू कि आप क्रोनिक किडनी रोग से जूझ रहे हैं। इसमें किडनी ब्लड को सही से फिल्टर करने में सक्षम नहीं हो पाती है। इससे शरीर में अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त फ्लुइड जमा होने लगता है। इसी के चलते डायलिसिस कराने की जरूरत पड़ती है, जिसमें ब्लड से वेस्ट प्रोडक्ट और अतिरिक्त फ्लुइड को फिल्टर किया जाता है।
यह डायलिसिस का एक सामान्य रूप है। इसमें ब्लड से दूषित पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। इसमें बॉडी से ब्लड को बाहर निकालकर आर्टिफिशियल किडनी को शुद्ध किया जाता है और फिर साफ खून को डायलिसिस मशीन की मदद से वापिस शरीर में भेज दिया जाता है। ब्लड को साफ करने के बाद ही इसे रोगी को दिया जाता है, साथ ही शरीर में अतिरिक्त पानी का मूल्यांकन करके उस पानी को भी बाहर निकाला जाता है, ताकि मरीज का ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो सके।
इस प्रकार के डायलिसिस में आर्टिफिशियल किडनी के बजाय शरीर के पेरिटोनियम को डायलाइजर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पेट में ट्यूब डाली जाती है और उस ट्यूब के जरिए ही पेट में पानी डाला जाता है। इस पानी को कुछ देर रखने के बाद बाहर निकाल लिया जाता है। ये प्रक्रिया करीब कुछ घंटों तक चलती है।
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बता दें कि किडनी शुरू-शुरू में खराब होने पर दवाओं, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, हीमोग्लोबिन बढ़ाने, वजन को कंट्रोल करने जैसी बातों पर ध्यान दिया जाता है। ये उपचार तब तक चलते हैं जब तक मरीज की हालत बहुत खराब नहीं हो जाती। ऐसे में इसके बाद डायलिसिस किया जाता है।
जब किडनी अपशिष्ट पदार्थों को निकालने में असमर्थ होती है तो उसके काम पर असर होने लगता है, और फिर डायलिसिस करने के लिए कहा जाता है। डायलिसिस की मदद से बॉडी से ब्लड को निकालकर मशीन के द्वारा साफ किया जाता है और फिर साफ ब्लड को डायलिसिस मशीन की मदद से बॉडी में वापिस भेज दिया जाता है। इससे ब्लड में मौजूद गंदगी, अशुद्धि और अतिरिक्त पानी बाहर निकाल दिया जाता है। किडनी फेलियर के मरीजों के लिए डायलिसिस एक उपयुक्त प्रक्रिया है।
तो जैसा कि आपने जाना कि डायलिसिस क्या होता है? इसके मरीजों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं और इसे कराने की जरूरत क्यों पड़ती है? ऐसे में अगर आपकी किडनी भी खराब हो चुकी है, तो डायलिसिस करवाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
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